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कॉर्निया ट्रांसप्लांट के फायदे, प्रक्रिया,और सावधानियाँ

DR. DIVYA SINGH PATIL In Cornea

Aug 13, 2024 | 1 min read

कॉर्निया ट्रांसप्लांट, जिसे मेडिकल भाषा में कोर्नियल ट्रांसप्लांटेशन या केराटोप्लास्टी भी कहा जाता है, यह एक सर्जिकल प्रक्रिया है, इस प्रक्रिया में एक स्वस्थ डोनर कॉर्निया को मरीज की आंख में प्रत्यारोपित किया जाता है। यह नेत्र रोगियों के दृष्टि सुधार के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया तब की जाती है जब किसी कारणवश कॉर्निया, जो कि आंख की बाहरी पारदर्शी परत है, क्षतिग्रस्त हो जाती है। इस ब्लॉग में हम इस प्रक्रिया, कॉर्निया ट्रांसप्लांट के फायदे और सावधानियों के बारे में विस्तार से जानेंगे।

 

कॉर्निया ट्रांसप्लांट प्रक्रिया (Process of Corneal Transplantation)

1. आवश्यकता और पूर्व-चिकित्सा परीक्षण : कॉर्निया ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया के लिए सबसे पहले मरीज की आँखों की पूरी जांच की जाती है। इसमें दृष्टि परीक्षण, कॉर्निया की स्थिति का मूल्यांकन, और अन्य नेत्र संबंधित जांचें शामिल होती हैं। डॉक्टर यह सुनिश्चित करते हैं कि ट्रांसप्लांट के लिए मरीज उपयुक्त है या नहीं।

2. डोनर कॉर्निया की प्राप्ति : कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए एक स्वस्थ डोनर कॉर्निया की आवश्यकता होती है। डोनर आमतौर पर उन लोगों से प्राप्त होता है जिनका निधन हो चुका है और जिनकी आंखों को ट्रांसप्लांट के लिए उपयोग किया जा सकता है। कॉर्निया को सुरक्षित रखने के लिए इसे ठंडा करके रखा जाता है और ट्रांसप्लांट के लिए अस्पताल में लाया जाता है।

3. ऑपरेशन का तरीका: कॉर्निया ट्रांसप्लांट में सामान्यत: दो प्रकार की प्रक्रियाएँ होती हैं:

  • पेनिट्रेटिंग कीराटोप्लास्टी (PK): इसमें पूरे कॉर्निया को हटाकर डोनर का कॉर्निया प्रत्यारोपित किया जाता है। यह प्रक्रिया सामान्यत: गंभीर मामलों में की जाती है।
  • डिस्किमल कीराटोप्लास्टी (DK): इसमें केवल कॉर्निया की बाहरी परत को ही हटाया जाता है और डोनर की बाहरी परत लगाई जाती है। यह प्रक्रिया कम आक्रामक होती है और अक्सर इसका उपयोग किया जाता है।

ऑपरेशन के दौरान, मरीज को आमतौर पर सामान्य एनेस्थीसिया (सुस्ती देने वाला) दिया जाता है। सर्जन नेत्र के प्रभावित हिस्से को काटकर, डोनर कॉर्निया को सटीकता से प्रत्यारोपित करते हैं।

 

कॉर्निया ट्रांसप्लांट कैसे होता है

 

कॉर्निया ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया इस प्रकार होती है:

 

1. प्री-ऑपरेटिव तैयारी

  • चिकित्सकीय जांच: डॉक्टर मरीज की आंखों की पूरी जांच करते हैं, जिसमें दृष्टि, कॉर्निया की स्थिति, और अन्य स्वास्थ्य मुद्दे शामिल होते हैं।
  • प्रस्तावित दवाइयाँ और निर्देश: डॉक्टर सर्जरी से पहले और बाद में दवाइयाँ, जैसे कि एंटीबायोटिक्स या स्टेरॉयड, के उपयोग के बारे में निर्देश देते हैं।

 

2. सर्जरी की तैयारी:

  • एनसिथेसिया: सर्जरी के दौरान आंख को बेहोश करने के लिए लोकल एनसिथेसिया (आंख के चारों ओर की त्वचा पर) या सामान्य एनसिथेसिया (पूरे शरीर को बेहोश करने के लिए) का उपयोग किया जाता है।
  • आंख की सफाई: सर्जरी से पहले आंख को साफ किया जाता है ताकि संक्रमण का खतरा कम हो।

 

3. कॉर्निया हटाना:

सर्जन सबसे पहले मरीज की क्षतिग्रस्त कॉर्निया को हटाते हैं। यह आमतौर पर एक गोलाकार टुकड़ा काटकर किया जाता है।

 

4.डोनर कॉर्निया का प्रत्यारोपण:

  • डोनर से प्राप्त स्वस्थ कॉर्निया का आकार और स्थिति मिलाने के बाद, उसे मरीज की आंख में ठीक से लगाते हैं।
  • नए कॉर्निया को जगह पर स्थिर रखने के लिए छोटे सर्जिकल स्टीच (टाँके) का उपयोग किया जाता है।

 

5. सर्जरी के बाद की देखभाल:

  • दवाइयाँ: सर्जरी के बाद, मरीज को एंटीबायोटिक और स्टेरॉयड दवाइयाँ दी जाती हैं ताकि संक्रमण और सूजन को नियंत्रित किया जा सके।
  • फॉलो-अप: नियमित जांच की जाती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ट्रांसप्लांट ठीक से कार्य कर रहा है और कोई जटिलताएँ नहीं हैं।

 

6. रिकवरी

  • वास्तविक दृष्टि सुधार: कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद दृष्टि सुधार में कुछ समय लग सकता है, और पूरी वसूली में महीनों से लेकर वर्षों तक लग सकते हैं।
  • रोजमर्रा की गतिविधियाँ: सामान्यतः, मरीज को कुछ समय के लिए विश्राम की आवश्यकता होती है और आंखों की सुरक्षा के लिए विशेष सावधानियाँ बरतनी पड़ती हैं।

 

कॉर्निया ट्रांसप्लांट एक सुरक्षित और प्रभावी सर्जरी है, लेकिन इसमें जटिलताओं की संभावना भी रहती है। डॉक्टर की सलाह और नियमित देखभाल से अधिकतर मरीज अच्छा परिणाम प्राप्त करते हैं|

 

कॉर्निया ट्रांसप्लांट के फायदे (Benefits of Corneal Transplant)

  • दृष्टि में सुधार: कॉर्निया ट्रांसप्लांट का मुख्य लाभ दृष्टि में सुधार है। जिन लोगों की दृष्टि बहुत कम हो गई थी, उन्हें ट्रांसप्लांट के बाद नई रोशनी और स्पष्टता मिलती है। यह एक महत्वपूर्ण जीवन-परिवर्तनकारी प्रक्रिया हो सकती है।
  • कौशल में वृद्धि: इस प्रक्रिया के बाद, मरीजों को विभिन्न दैनिक कार्यों में मदद मिलती है, जैसे पढ़ना, लिखना और गाड़ी चलाना। यह जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है।
  • उम्र की सीमा नहीं: कॉर्निया ट्रांसप्लांट किसी भी उम्र के व्यक्तियों के लिए किया जा सकता है। बच्चे से लेकर वृद्ध लोगों तक, यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक की जा सकती है।

 

कॉर्निया ट्रांसप्लांट की सावधानियाँ (Precautions for Corneal Transplantation)

  • संक्रमण का जोखिम : कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद संक्रमण का खतरा रहता है। इसके लिए मरीजों को एंटीबायोटिक दवाइयाँ दी जाती हैं और सावधानीपूर्वक निगरानी की जाती है। अगर संक्रमण के लक्षण जैसे कि लालिमा, सूजन या दर्द दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • दवाइयों का पालन: पॉस्ट-ऑपरेटिव देखभाल में दवाइयों का सही तरीके से पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। किसी भी तरह की दवा या ड्रॉप्स की खुराक में कमी या अधिकता समस्या पैदा कर सकती है।
  • आंखों की सुरक्षा: मरीजों को ऑपरेशन के बाद आंखों की सुरक्षा की विशेष देखभाल करनी पड़ती है। धूल, धुएँ और तेज रोशनी से बचने के लिए विशेष गॉगल्स का उपयोग किया जा सकता है।
  • नियमित फॉलो-अप: सर्जन द्वारा निर्धारित समय पर नियमित फॉलो-अप चेकअप अनिवार्य है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि ट्रांसप्लांट सही ढंग से ठीक हो रहा है और कोई जटिलता नहीं है।
  • सतर्कता और धैर्य: कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद दृष्टि सुधार में समय लग सकता है। मरीजों को धैर्य रखना चाहिए और डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना चाहिए।

 

कॉर्निया ट्रांसप्लांट के जोखिम

कॉर्निया ट्रांसप्लांट, जिसे केराटोप्लास्टी भी कहा जाता है, एक सामान्य और प्रभावी सर्जरी है जिसका उपयोग दृष्टि सुधारने के लिए किया जाता है जब कॉर्निया (आंख की बाहरी पारदर्शी परत) क्षतिग्रस्त या बीमार हो जाती है। हालांकि, यह एक सामान्य प्रक्रिया है, इसके कुछ जोखिम भी हो सकते हैं।

 

कॉर्निया ट्रांसप्लांट के संभावित जोखिमों में शामिल हैं:

 

  • संक्रमण: सर्जरी के बाद संक्रमण का खतरा रहता है, जो आंख की गंभीर समस्या पैदा कर सकता है और दृष्टि को प्रभावित कर सकता है।
  • अस्वीकृति: प्रतिरक्षा प्रणाली डोनर कॉर्निया को विदेशी तत्व मान सकती है और इसे अस्वीकार कर सकती है, जिससे ट्रांसप्लांट विफल हो सकता है।
  • दृष्टि संबंधी समस्याएं: सर्जरी के बाद दृष्टि में धुंधलापन, गड़बड़ी, या दृष्टि में कमी हो सकती है।
  • सिलेक्सन और सूजन: ऑपरेशन के बाद आंख में सूजन या अन्य परेशानियाँ हो सकती हैं।
  • धब्बे या स्कारिंग: ट्रांसप्लांट के स्थान पर धब्बे या स्कारिंग हो सकते हैं जो दृष्टि को प्रभावित कर सकते हैं।
  • दवा के साइड इफेक्ट्स: सर्जरी के बाद इम्यूनोसप्रेसेंट दवाओं का सेवन करना पड़ सकता है, जिनके कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।

हालांकि ये जोखिम मौजूद हैं, लेकिन अधिकांश लोग कॉर्निया ट्रांसप्लांट के बाद सुधार अनुभव करते हैं और दृष्टि में महत्वपूर्ण सुधार देख सकते हैं। सर्जरी के बाद डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना और नियमित जांच करवाना इन जोखिमों को कम कर सकता है।

 

निष्कर्ष:

कॉर्निया ट्रांसप्लांट एक जीवन-परिवर्तनकारी प्रक्रिया हो सकती है, जो दृष्टि में सुधार लाने में सहायक होती है। हालांकि, यह एक जटिल प्रक्रिया है और इसके साथ कुछ सावधानियाँ भी जुड़ी रहती हैं। सही देखभाल और चिकित्सा सलाह से, मरीज एक बेहतर दृष्टि और जीवन की गुणवत्ता प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप या आपके किसी प्रियजन को कॉर्निया ट्रांसप्लांट की आवश्यकता है, तो कॉर्निया ट्रांसप्लांट के लिए सबसे अच्छा अस्पताल (एएसजी नेत्र अस्पताल) के अनुभवी नेत्र चिकित्सक से परामर्श करके इस प्रक्रिया की पूरी जानकारी प्राप्त करे।

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Written and Verified by:

DR. DIVYA SINGH PATIL

DR. DIVYA SINGH PATIL

MBBS, MD (AIIMS NEW DELHI), DNB & FAICO

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