मोतियाबिंद आंखों के लेंस पर होने वाली एक समस्या है जिसमें आंखों का लेंस धीरे-धीरे धुंधला हो जाता है। ये समस्या सामान्य है, लेकिन इसे समझाना और सही समय पर इसका इलाज करवाना महत्व पूर्ण है।
मोतियाबिंद एक आंखों की समस्या है जिसमे आंखों के लेंस पर सफेद या धुंधले धब्बे बन जाते हैं। ये धब्बे रोशनी को आंख के विपरीत होने में रुकावत डालते हैं, जिसकी वजह से रोशनी को सही से देखना मुश्किल हो जाता है।
मोतियाबिंद का मुख्य कारण आंखों के लेंस में होने वाले बदलाव है।
ये समस्या अक्सर उम्र बढ़ने के साथ ही आती है और 40 साल से अधिक उम्र के लोगों में देखी जाती है, कभी-कभी, ये किसी चोट या अन्य आंखिक समस्या से भी जुड़ा होता है।
मोतियाबिंद कितने प्रकार का होता है?
मोतियाबिंद को सफेद मोतिया और काला मोतिया के रूप में दो भागों में बांटा गया है।
- सफेद मोतिया: जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, यह आपकी आंख के लेंस को धुंधला कर देता है और आंख के प्राकृतिक लेंस पर एक सफेद फिल्म बन जाती है, जो दिन-ब-दिन आपकी दृष्टि को प्रभावित करती है।
- काला मोतिया : काला मोतियाबिंद की बात करें तो यह एक खतरनाक स्थिति है जहां समय के साथ दृष्टि खराब हो जाती है और अगर इसका जल्दी इलाज न किया जाए तो यह आपको अंधेपन के करीब ला सकता है।
मोतियाबिन्द के कुछ मुख्य लक्षण:
मोतियाबिंद के रोगियों में कुछ आम लक्षण होते हैं जो उन्हें इस बीमारी को पहचान में मदद करते हैं। ये लक्षण हैं:
- धुँधला दिखना: रोज़मर्रा की दुनिया में होनी वाली रोशनी में काम के कारण रोगी को धुँधला दिखना शुरू हो जाता है।
- रोशनी में कमी: रोशनी में कमी के कारण रात में दिखाई देना कम हो जाता है और ड्राइविंग या पढ़ाई में दिक्कत होती है।
- रंगों का भेदभाव: रंगों का सही रूप से पहचान न हो, जिसके रोगी को रंगों में भेदभाव महसूस होता है।
- तेज रोशनी में चक्कर: तेज रोशनी में चक्कर आना भी मोतियाबिंद के लक्षण हो सकते हैं।
मोतियाबिंद के कारण:
मोतियाबिंद के कारण भिन्न हो सकते हैं, लेकिन ज्यादा मामलों में ये आंखों के लेंस में होने वाले परिपाकव होने के कारण होते हैं। कुछ मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- उम्र बढ़ना: मोतियाबिंद का सबसे आम कारण है उम्र बढ़ना। आँखों के लेंस में धुँधली होने के कारण, रोशनी को सही तरह से रेटिना तक पहुंचने में दिक्कत होती है।
- धूप में अधिक समय बिताना: लम्बे समय तक धूप में रहना भी मोतियाबिंद को खराब कर सकता है।
- आनुवंशिक कारक: कुछ परिवार में मोतियाबिंद पिताजी से आने वाली अनुवांशिक परिपकवता के करण होती है।
- मधुमेह: मधुमेह भी मोतियाबिंद को बढ़ा सकता है, इसलिए मधुमेह रोगियों को अपनी आंखों की देखभाल पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
- उच्च रक्तदाब (high blood pressure)
- मोटापा
- आंखों में चोट लगना या सूजन
- पहले हुई आंखों की सर्जरी
- कार्टिस्टेरॉइड मोडिकेशन का लंबे समय तक इस्तेमाल
- धुम्रपान
मोतियाबिंद के इलाज:
मोतियाबिंद का इलाज आंखों के लेंस को बदल सकता है, जिसे मोतियाबिंद सर्जरी के नाम से जाना जाता है। ये एक सुरक्षित और प्रभावित उपचार है जिसमें सर्जन रोगी के लेंस को निकाल कर एक नया लेंस इम्प्लांट करता है।
उपचार के कुछ मुख्य लाभ हैं:
- तेज़ रिकवरी: मोतियाबिंद सर्जरी के बाद रोगी की तेज़ रिकवरी होती है और वो जल्दी अपनी सामान्य गतिविधियों में लौट सकता है।
- दर्द रहित: ये सर्जरी दर्द रहित होती है और अक्सर एक दिन में ही अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाता है।
- सुस्ती की कमी: मोतियाबिंद के इलाज के बाद रोगी की दृष्टि में सुधार होता है और वह दोबारा से साफ रोशनी को देख सकता है।
- दुर्घटानाओं से बचाव: मोतियाबिंद के इलाज से रोगी दुर्घटनाओं से बच जाता है, क्यों कि साफ दृष्टि उनकी सुरक्षा में मदद करती है।
कुछ उपाय और सावधानियाँ:
मोतियाबिंद से बचने के लिए कुछ उपाय और सावधानियां भी हैं, जिनमें शामिल हैं:
- आंखों का समय समय पर चेकअप: नियामित रूप से आंखों का चेकअप करवाना मोतियाबिंद को शुरूवात में ही पकड़ने में मदद करता है।
- धूप के चश्मे का इस्तमाल: धूप में घूमते वक्त हमेशा धूप के चश्मे का इस्तमाल करें ताकि आंखों को सुरक्षा मिले।
- विटामिन ए से भरपुर आहार: विटामिन ए की कमी मोतियाबिंद को बहुत अच्छी लगती है, इसलिए इसे खाद्य पदार्थ का सेवन करें जो इस विटामिन से भरपूर हो।
- मधुमेह का नियंत्रण: मधुमेह से बचने के लिए अपने खाने पीने का ध्यान रखें और नियम व्यायाम करें।
ये कुछ तरीके हैं जिनसे आप मोतियाबिंद से बचाव कर सकते हैं और अपनी आंखों की सेहत का ख्याल रख सकते हैं। नियामित चेकअप और स्वस्थ जीवनशैली आपको मोतियाबिंद और अन्य आंखों से जुड़ी समस्याओं से बचा सकते हैं।
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