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मायोपिया और हाइपरोपिया के बीच क्या अंतर है?

DR. MAYANK SHARMA In Eye Health

May 24, 2024 | 1 min read

मायोपिया और हाइपरोपिया आंखों की सामान्य स्थितियां हैं जिनमें व्यक्ति को धुंधली दृष्टि का सामना करना पड़ता है। मायोपिया में व्यक्ति दूर की वस्तु को ठीक से नहीं देख पाता है और हाइपरोपिया में व्यक्ति पास की वस्तु को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता है। इस ब्लॉग में हम मायोपिया और हाइपरोपिया के बीच का अंतर विस्तार से जानेंगे।

 

मायोपिया एक नेत्र रोग है जिसमें लोग पास की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देख सकते हैं लेकिन दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाते हैं। आंखों के विकार, जैसे कि मायोपिया और हाइपरोपिया, आजकल एक आम समस्या बन गए हैं। यह विकार आंखों की दृष्टि को प्रभावित करते हैं, जिससे लोगों को समान्य जीवन की दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। मायोपिया और हाइपरोपिया, दोनों में ही आँखों की रोशनी को समझने के तरीके में अंतर हैं।

 

मायोपिया

मायोपिया, जिसे लोग छोटी दूरी की दृष्टि के रूप में भी जानते हैं, एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति को नज़दीक की वस्तुओं को देखने में समस्या होती है। इसमें, आँख की कोरनिया का आकार बढ़ जाता है, जिससे दूरी के वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है। यह सामान्यत: नज़दीकी वस्तुओं को स्पष्ट देखने में मदद के लिए चश्मा या लेंस प्रयोग किया जाता है।

 

हाइपरोपिया

दूर की दृष्टि के रूप में भी जानते हैं, वह स्थिति है जिसमें व्यक्ति को नज़दीकी वस्तुओं को देखने में समस्या होती है। यह आँख की कोरनिया का आकार कम हो जाता है, जिससे नज़दीक की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है। हाइपरोपिया में, दूरी के वस्तुओं को देखने के लिए चश्मा या लेंस का उपयोग किया जाता है।

 

मायोपिया और हाइपरोपिया के लक्षण:

  • धुंधली दृष्टि
  • सिरदर्द
  • आंखों में खुजली और जलन
  • दूर और पास की चीज़ों को देखने पर आंखो में तनाव महसूस होना
  • बार-बार आंखे झपकाना
  • आँखों में पानी आना
  • रात को ड्राइविंग में परेशानी होना

 

मायोपिया और हाइपरोपिया में अंतर

  • आँखों की दृष्टि के प्रभाव: मायोपिया में, नज़दीक की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है, जबकि हाइपरोपिया में, दूरी की वस्तुओं को देखने में कठिनाई होती है।
  • कोरनिया का आकार: मायोपिया में, कोरनिया का आकार बढ़ जाता है, जबकि हाइपरोपिया में यह कम हो जाता है।
  • उपचार: दोनों समस्याओं का उपचार चश्मा, लेंस या लेजर सर्जरी के माध्यम से किया जा सकता है। चरम (extreme) मामलों में, कई लोग लेजर सर्जरी का सहारा लेते हैं ताकि वे इन आँखों के विकारों से छुटकारा पा सकें।

इस प्रकार, मायोपिया और हाइपरोपिया दोनों ही आँखों की दृष्टि को प्रभावित करने वाली आम समस्याएं हैं, लेकिन उनके उपचार और आँखों की दृष्टि को प्रभावित करने के तरीके में अंतर हैं। यह आम समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन उनके समाधान में भिन्नता होती है, जो व्यक्ति के आंखों के विकार के स्तर और प्रकार पर निर्भर करती है।

 

चिकित्सा विज्ञान में आगे बढ़ते हुए, इन आँखों के विकारों का उपचार भी नए और प्रभावी तरीकों में हो रहा है। लेजर सर्जरी की तकनीकें, जैसे LASIK और PRK, व्यक्तिगत आँखों के आवश्यकताओं के आधार पर आवेदन किये जा सकते हैं। इन तकनीकों के माध्यम से, आँखों की सही रूप से मॉडिफाई किया जाता है, जिससे व्यक्ति की दृष्टि सुधारी जा सकती है।

 

इसके अलावा, चश्मा और लेंस का उपयोग भी समस्याओं को हल करने के लिए एक सामान्य और प्रभावी तरीका है। विशेषज्ञ आंखों के चिकित्सक के पास जाकर व्यक्तिगत सलाह लेना आवश्यक है, ताकि उन्हें उपयुक्त और सटीक उपचार मिल सके। मायोपिया और हाइपरोपिया केवल आंखों के डिसऑर्डर होने के कारण ही नहीं, बल्कि इनके संबंध में सही उपचार भी महत्वपूर्ण हैं। अगर आपको इन समस्याओं के लिए लगातार समस्या हो रही है, तो आपको नियमित रूप से आंखों की जांच करवानी चाहिए और विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। ध्यान रखें कि समय रहते चिकित्सा सहायता लेने से समस्याएं बढ़ने से बच सकती हैं और आपको स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने में मदद मिल सकती है।

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